गुरुवार, 23 अगस्त 2018

संविधान और धर्म

चित्र ; डॉ.लाल रत्नाकर 

धर्म और संविधान आमने सामने खडे हैं ।
बार बार धर्म अकड़ अकड़ कर संविधान को ।
परास्त करने की कोशिश करता रहा है ।
क्योंकि धर्म की आड़ में जो विचार खड़ा है।
वह और उसके समर्थक संविधान को नहीं मानते।

आजकल तो और ही मुसीबत है क्योंकि ?
जो सत्ता में बैठे हैं वह संविधान के शत्रु हैं ।
संविधान जिन्हें हक़ देता है वे भक्त बने हुये हैं !
उनके जो संविधान ख़त्म करने पर आमादा हैं ।
यहॉ हमारा संविधान संकट में खड़ा हो जाता है ।

और भी ख़तरे खडे हो गये हैं ! संविधानपीठ पर ?
जानबूझकर धर्म का पुजारी बैठा दिया गया है ।
जो अधर्म को धर्म की तरह मान्यता दिला रहा है।
संविधान चिल्ला रहा है और पुजारी मुस्कुरा रहा है !
क्योंकि संविधान और अधर्म आमने सामने खडे हैं !

डा.लाल रत्नाकर

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