शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

देश हमारा टूट रहा है।

चित्र ; डॉ.लाल रत्नाकर 

खाते पीते लोगों के मन पें
बसा हुआ है राष्ट्र निर्माण !
नहीं पता है उन्हें यहाँ का काम 
या कैसा होता है अपना राष्ट्र !

जो राष्ट्र के नाम पर लूट रहा है
जो राष्ट्र के नाम पर टूट रहा है
अपनो को अपनो के नाम पर लूट रहा है।
आख़िर देश हमारा टूट रहा है।

कौन बचायेगा इन लुटेरों से 
इस देश को !
इसी उधेड़ बुन में हमारा वक़्त 
हर एक को उसके कर्मों से तौल रहा है।

डॉ.लाल रत्नाकर



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