चित्र ; डॉ.लाल रत्नाकर |
हम झूठ के पुल बाँध देंगे।
इन्शान के अंदर इतनी नफ़रत भर देंगे
जिससे वह आपका भरोसा ही न करे !
उसका भरोशा पाखण्ड से इस तरह !
जोड़ देंगें जिससे वह जीवन भर न निकल सके ?
नफ़रत की आग बहुत कारगर है !
हम उसे नफ़रत का दावानल दे देंगे !
क्योंकि हम सौदागर हैं और सपने बेचते हैं ?
तुममे कुवत है तो रोक लेना मेरा व्यापार !
हमने तुम्हारी जमीर हड़प ली है !
तुम्हे तुम्हारे लुटे हुए समपत्ति के हिसाब से !
डरो हम तुम्हे डरा रहे हैं लोकतंत्र से !
हमने मशीने खरीद ली हैं तुम्हारे लोकतंत्र की !
ऐसे ही नहीं छोड़ा है कोई विकल्प !
तलाशो विकल्प नहीं मिलेगा तुम्हार लोकतंत्र में !
बनाओ गठबंधन कितने भी बनाओ !
डॉ.लाल रत्नाकर
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