गुरुवार, 13 सितंबर 2018

कैसे लड़ेंगे ?


कैसे लड़ेंगे ?
गरीब गरीब की तरह लड़ेगा उनसे !
और अमीर अमीर की तरह अत्याचार करेगा।
अब सवाल यह है की हम इस युद्ध में किसके साथ खड़े हों ?
गरीब मेरी नहीं सुनेगा अमीर विश्वास नहीं करेगा ?
फिर हम कहाँ खड़े हों न इधर न उधर ?

जातियाँ भी इसी तरह से बँटी हुई हैं ?
जैसे गरीब और अमीर !
वे जातियाँ  जिन्हे आरक्षण मिला था !
और वे जातियां जो आरक्षण के लिए लड़ रही थीं !
और वे जातियां जो सो रही थीं और सो रही हैं !
उनसे जो हड़प कर काबिज हैं सारे संसाधनों पर ?
हम कैसे लड़ेंगे उनसे ?

आज नए युद्ध का आगाज खड़ा हो गया है ?
जिससे लड़ना है उसका साम्राज्य खड़ा हो गया है ?
झूठ
फरेब
लफ़्फ़ाज़ी
जालसाज़ी
और
अपराध का ?
क्योंकि वह पेशेवर राजनीतिज्ञ की तरह !
राज्य करने की बजाय राज्य हड़पने में लगा है ?
संविधान को उसकने बौना बनाकर सामने कर दिया है !
सारे खम्भों को हड़प लिया है !
गिड़गिड़ाहट की आहट से सन्नाटा पसरा हुआ है !
हर तरफ उसका एक दलाल लगा हुआ है !
कैसे लड़ोगे।

--डॉ.लाल रत्नाकर 

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