गुरुवार, 29 नवंबर 2018

किसी से छुपा नहीं है ?


आजकल दौर चल रहा है ?
अजीबो-गरीब !
हर व्यक्ति दोष दे रहा है 
पिछली से पिछली व्यवस्था को?
और अभी भी उम्मीदें पाले हैं 
मौजूदा तंत्र के कुतंत्र से।

और मौजूदा तंत्र के निरंकुशता की ?
पडताल कौन कर रहा है।
वह जो कुछ कर रहा है?
किसी से छुपा नहीं है ?
उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता?
जो लूट लिए हैं देश को।
लेकिन वो।
जो सदियों से कष्ट झेल रहे हैं।
कष्ट तो उन्हें होता है।
जो सदियों से आनंद ले रहे हैं।
जाति का
धर्म का
देश का
सत्ता का
और सत्ता के सुखद !
आनन्द का।
जरा उनके हालात में
एक बार आओ और देखो।
तुम्हें कैसा लगता है।
कि तुम्हारे साथ?
क्या क्या हो रहा है।

---
-डॉ.लाल रत्नाकर 

कोई टिप्पणी नहीं: