सोमवार, 10 दिसंबर 2018

प्रतिभा


प्रतिभा
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जिंदगी के इतने आयाम हैं
जिसमें कला रचना भी शामिल है
इसलिए निराशा कारण नहीं है
निराशा इस बात की है कि
जो लोग विराजमान हैं
गद्दियों पर !
कैसे कहूं कि बेईमान है।
कोई कारण नहीं बनता
उन्हें ईमानदार कहने का!
क्योंकि देश हजारों वर्षों से
मेहनतकश लोगों का सम्मान,
क्यों नहीं करता ?
क्या इसका कोई जवाब है ?
आपके या किसी के पास ?
इसलिए बार बार यह कहना
अच्छा नहीं लगता !
कि बेईमानों के बीच में!
हमें रहना पड़ता है !
और वे चाहते हैं कि चुप रहें ?
उन्हें लगता है कि वह आहत हैं।
उन्हे आहत करने का हक !
किसी को नहीं है क्योंकि ?
जैसे अपराधी वह नहीं !
कोई और है?
वह कौन है जिसे सालों साल !
तक ढूढा नहीं जा सका ?
और तलाश जारी है।
चोर चिल्ला चिल्ला कर !
कह रहा है !
चोर पकडे जायेंगे ?
हर हाल में !
उसके साथी तालियां बजा बजाकर !
नाच रहे हैं।
डा. लाल रत्नाकर
(चित्र:डा. लाल रत्नाकर)

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