शनिवार, 15 दिसंबर 2018

क्या उन्हें पता है हमारा मुकाम !


कहाँ ले जा रहे हैं हमारे शासक !
क्या उन्हें पता है हमारा मुकाम !
शायद नहीं उन्हें केवल पता है !
अपने उन भक्तों का ही मुकाम !
जो आँख मूंदकर गा रहे हैं गीत !
इनमे मुख्य रूप से वे लोग हैं !
जिनकी जाति, धर्म और लोभ !
समेटे हुए है संविधान के खिलाफ !
वे अटके हुए हैं झूठे वादों के साथ !
उन्हें कहाँ पता है आज़ादी का अर्थ !
क्योंकि वो जो हैं मानसिक गुलाम !
उनकी शिक्षा बेशक मैकाले की !
मा. मैकाले की शिक्षा पद्धति की है !
आश्रम व्यवस्था की शिक्षा पद्धति का !
कैसा कैसा रहा है कमाल !

-डॉ.लाल रत्नाकर 

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