शनिवार, 18 मई 2019

वह छुपे हुए लोग हैं


तुम्हारी छाया से भी नफरत है
तुम्हारी काया से भी नफरत है
वह छुपे हुए लोग हैं
जिन्हें तुम अपना समझ बैठे हो
सदियों से पराए हैं।
तुम्हें पता नहीं उनको तुम्हारा
खून प्यारा है तू नहीं प्यारा है।
तुम इतने बड़े हिंदू हो
तुम्हें कुत्ते की तरह पाला है।
क्योंकि हिंदुत्वा पर शिर नवाए हो।
कीचड़ और कमल का ताल्लुक।

क्या तुम्हारी समझ में आता है !
अगर नहीं तो काशी चले जाओ !
और पहचानों उन्हें जो देशभर से !

-डॉ० लाल रत्नाकर 

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