मंगलवार, 18 जून 2019

इन राजनीतिज्ञों की आत्मकथा ..?

मैं नहीं जानती राजनीति की व्यथा।
पर मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूं।
इन राजनीतिज्ञों की आत्मकथा ..?
जिसको बयान करना वाजिब नहीं है।
केवल इतना कहना उनका आचरण,
देश और मानवता के लिए घातक है।
जिन पाखंडियों की अनेकों कथाएं ।
जिन्हें हम आज कितना भी छुपाए।
वह कितनी नफरत भरी भयावह हैं।
राजनीति में उन्हीं का बोलबाला है।
जब नफरत व प्यार दोनों धोखा है।
स्त्रियों के लिए हो या शूद्रों के लिए।
सदियों से और आज तक देखा है।
वास्तव में जो भरोसे लायक नहीं है।
शक्ति और सत्ता उन्हीं के हाथ में है।
बाकी सारे मोहरे हैं धर्म के दोहरे हैं।
हिंदू मुसलमान सिख इसाई जैन व,
आर्य समाजी भक्ति भाव में अंधे हैं।
नफरत को पैदा करने में सब एक हैं।
क्योंकि इनकी चेतना में धर्म का अर्थ,
सत्य की शक्ति नहीं भक्ति भाव है।
यही धर्म है और यही राजनीति है
इसी के पुजारी हिंदू और मुसलमान
सिक्ख,इसाई आर्य समाजी जैनी।
सब दे रहे हैं अपने धर्म की दुहाई।
क्योंकि इन्हें लग रहा है अब धर्म ही,
राह है राजनीत में बने रहने की ?
अधर्म के मार्ग पर चल कर विजय,
धार्मिकता के जुमले से करने की।
मैं नहीं जानती राजनीति की व्यथा।
पर मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूं।
इन राजनीतिज्ञों की आत्मकथा ..?
डॉ लाल रत्नाकर।

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