कौन मर गया है।
खबरें रोज लिखी जा रही हैं।
मरने का कारण नहीं पता चल रहा है।
मारने वाला अकारण नहीं मार रहा है।
कारण कौन पता करेगा?
जो मर रहा है।
वह किसी खास जाति का है।
मारने वाला भी किसी खास जाति का है।
वैसे तो मारने वाले का पता नहीं चल रहा है।
कई बार तो वह पकड़ा भी नहीं जा रहा है।
हत्यारे को कौन पकड़ेगा?
शासन और प्रशासन मौन है।
विपक्ष भी शांत बैठा है।
कहीं जन आंदोलन नहीं हो रहा है।
मीडिया में इस तरह की चर्चा नहीं है कि।
भयमुक्त समाज का निर्माण हो रहा है।
मारने वाले की पहचान संदिग्ध करके
मरने वाले को दबंग बताया जा रहा है।
भय मुक्त समाज को डराया जा रहा है।
या दबंग को मरवाया जा रहा है।
- डॉ लाल रत्नाकर
खबरें रोज लिखी जा रही हैं।
मरने का कारण नहीं पता चल रहा है।
मारने वाला अकारण नहीं मार रहा है।
कारण कौन पता करेगा?
जो मर रहा है।
वह किसी खास जाति का है।
मारने वाला भी किसी खास जाति का है।
वैसे तो मारने वाले का पता नहीं चल रहा है।
कई बार तो वह पकड़ा भी नहीं जा रहा है।
हत्यारे को कौन पकड़ेगा?
शासन और प्रशासन मौन है।
विपक्ष भी शांत बैठा है।
कहीं जन आंदोलन नहीं हो रहा है।
मीडिया में इस तरह की चर्चा नहीं है कि।
भयमुक्त समाज का निर्माण हो रहा है।
मारने वाले की पहचान संदिग्ध करके
मरने वाले को दबंग बताया जा रहा है।
भय मुक्त समाज को डराया जा रहा है।
या दबंग को मरवाया जा रहा है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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