शनिवार, 15 जून 2019

वह वोट की हो या नोट की।

नवजागरण के अभ्यारण में
भ्रष्टाचार मुक्त सांप्रदायिकता युक्त
नव निर्माण का आपातकाल।
समग्र समाज के लिए
सबका साथ सबका विकास।
आंदोलन नहीं विश्वास।
विश्वास राष्ट्रभक्ति का।
उम्मीद विकास और सुशासन का।

पूंजीवाद के अतिरेक का
भितरघात के अंधकार का
छुपे हुए अत्याचार का
नशे में डूबे समाज का।
जनाधार बढ़ गया है।
विश्वास नहीं होता है।
तुम्हारे विधान का।
भ्रष्टाचार के निदान का।
लेन देन के विधान का।
डिजिटल वोट के बाज़ार में।
हमारे वोट के कीमत का।

भारत के राजनीतिक,
मौसम के निर्माण में।
नव साम्राज्य के विधान का।
विश्वास नहीं होता तुम्हारी नियत का।
संविधान के सही इंतजाम का।
निरीह जनता कराह रही है।
फिर भी तुम्हारे साथ खड़ी है।
उसकी पीड़ा तुम समझ रहे हो।
लेकिन मशीनें नहीं समझ रही हैं।
वह वोट की हो या नोट की।

- डॉ लाल रत्नाकर

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