
बैठे हैं अपनी अकड़ में।
दुश्मन के हैं पकड़ में।
इनको पहचान रहे हैं आप ?
इनको है सदियों का साप।
यह ऐसा मान रहे हैं।
दुश्मन के हैं पकड़ में।
इनको पहचान रहे हैं आप ?
इनको है सदियों का साप।
यह ऐसा मान रहे हैं।
कौन इन्हें समझाएं।
इनसे इनका साप हटाए।
यह साप ढो रहे।
दुश्मन का अभिशाप ढो रहे।
बैठे हैं अपनी अकड़ में।
दुश्मन के हैं पकड़ में।
इनसे इनका साप हटाए।
यह साप ढो रहे।
दुश्मन का अभिशाप ढो रहे।
बैठे हैं अपनी अकड़ में।
दुश्मन के हैं पकड़ में।
चिंता उनकी हमको क्यों ?
जब हमारी नहीं उन्हें है।
चालाकी हम जान रहे हैं ।
वह हमको दुश्मन मान रहे हैं।
चिंता है यही हमारी ?
चिंता है यही हमारी ?
जब हमारी नहीं उन्हें है।
चालाकी हम जान रहे हैं ।
वह हमको दुश्मन मान रहे हैं।
चिंता है यही हमारी ?
चिंता है यही हमारी ?
-डॉ लाल रत्नाकर
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