हमारी सोच ।
हमारा रास्ता
हमारी सोच से
आगे जा रहा है
पर भारत कहॉ जा रहा है।
कौन सा भारत !
नया भारत
या पुराना भारत !
उनका भारत
अपना भारत
संवैधानिक भारत
या पाखण्डी भारत
संघी भारत
या भक्तों का भारत
पीछे तो नहीं जा रहा है।
यह तय कौन करेगा ?
जो पीछे धकेल रहा है,
या वह जो घिसट रहा है।
डॉ.लाल रत्नाकर
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