
कुकुरमुत्ता की तरह
जीने को तैयार रहिए
इस तरह का माहोल चल रहा है
आज इस मुल्क में।
कामचोरों और जमाखोरों ने !
हथिया ली है लोकतंत्र की चाभी!
अब जुमले सुना रहे हैं।
इसी की मुनादी करा रहे हैं।
मीडिया मुनादिकार हो गया।
जमाखोर भाग्य विधाता और ,
प्रचारक शासक हो गया है ?
प्रचार का मतलब प्रचार है।
झूठ का मिलावट का और तो और
पाखंड और लूट का !
तभी तो प्रचार जारी है।
और EVM का खेल जारी है।
आयोग सरकारी है पर ?
एक पार्टी का अब कर्मचारी है।
कॉर्पोरेट का अधिकारी अब ?
ले लिया चुनाव की जिम्मेदारी है।
मैनेज करना चुनाव को !
वोट से नहीं और भी तरीके हैं ?
तभी तो व्यापार जारी है।
कुकुरमुत्ता की तरह
जीने को तैयार रहिए
इस तरह का माहोल चल रहा है
आज इस मुल्क में।
- डॉ लाल रत्नाकर
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