गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

कुकुरमुत्ता की तरह


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कुकुरमुत्ता की तरह
जीने को तैयार रहिए
इस तरह का माहोल चल रहा है 
आज इस मुल्क में।
कामचोरों और जमाखोरों ने !
हथिया ली है लोकतंत्र की चाभी!
अब जुमले सुना रहे हैं। 
इसी की मुनादी करा रहे हैं। 
मीडिया मुनादिकार हो गया। 
जमाखोर भाग्य विधाता और ,
प्रचारक शासक हो गया है ?
प्रचार का मतलब प्रचार है। 
झूठ का मिलावट का और तो और 
पाखंड और लूट का !
तभी तो प्रचार जारी है। 
और EVM का खेल जारी है। 
आयोग सरकारी है पर ?
एक पार्टी का अब कर्मचारी है। 
कॉर्पोरेट का अधिकारी अब ?
ले लिया चुनाव की जिम्मेदारी है। 
मैनेज करना चुनाव को !
वोट से नहीं और भी तरीके हैं ?
तभी तो व्यापार जारी है। 
कुकुरमुत्ता की तरह
जीने को तैयार रहिए
इस तरह का माहोल चल रहा है 
आज इस मुल्क में।

- डॉ लाल रत्नाकर 












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