गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

फ़िक्र

हज़ार हाथ तेरे
तू मेरा भी भला कर
तू तो भोगता है देश का
हर सुख झूठ बोल कर ।
हमारे पास तेरे चाहने वाले।
फ़िदा है तुम्हारे किस गुण के।
यह तो वही जानें !
यही हैं हज़ार हाथ तेरे।
तू नहीं है पर तेरे चाहने वाले!
हमेशा हमें घूर रहे होते हैं।
तुम्हारे चाहने वाले !
मैं फ़िदा हूँ या नही पर वे !
फ़िदा हैं फ़िदा ही नहीं!
मौक़ा लगे तो जुदा कर दें ।
पर हमें इनसे डर नहीं लगता।
ये डराने के लिये नहीं!
माल उड़ाने के लिये फ़िदा हैं।
हर लम्हे हमें गरियाते रहते हैं।
तुम्हारे चाहने वाले !

डा लाल रत्नाकर

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