
किससे उम्मीद लगाए बैठे हो
सचमुच क्यों वक्त गंवाए बैठे हो
मेहनत करके मेहनत की कीमत।
क्या अब तक पाए, जो बैठे हुए हो?
शोषण का पोषण करने वालों के,
आश्वासनो पे कब से यूँ बैठे हुए हो!
घालमेल कर जो माल छुपाए हुए हैं,
उनसे क्यो आस लगाए बैठे हुए हो।
क्यों सभी मौन हैं या डरे हुए हैं ।
क्या मर्यादा अपनी बचाये हुए हैं।
किससे डरे हैं वो डरपोक जो हैं।
जिन्हें तुम नेता बनाये हुए हो।
क्या इन्हीं सजा उम्मीद लगाए बैठे हो।
सचमुच क्यों वक्त गवाएं बैठे हो।
मेहनत करके मेहनत की कीमत।
क्या अब तक पाए, जो बैठे हुए हो?
शासक नहीं है ये, शोषक का जुमला
सुना करके सबको भरमाऐ हुए हैं।
तभी तो कह रहा हूँ सम्भल जाओ,
अब न करो देर उठो और उठाओ।
सभी सुधीजनो और बहुजनों क़ो ।
सचमुच क्यों वक्त गंवाए बैठे हो
मेहनत करके मेहनत की कीमत।
क्या अब तक पाए, जो बैठे हुए हो?
शोषण का पोषण करने वालों के,
आश्वासनो पे कब से यूँ बैठे हुए हो!
घालमेल कर जो माल छुपाए हुए हैं,
उनसे क्यो आस लगाए बैठे हुए हो।
क्यों सभी मौन हैं या डरे हुए हैं ।
क्या मर्यादा अपनी बचाये हुए हैं।
किससे डरे हैं वो डरपोक जो हैं।
जिन्हें तुम नेता बनाये हुए हो।
क्या इन्हीं सजा उम्मीद लगाए बैठे हो।
सचमुच क्यों वक्त गवाएं बैठे हो।
मेहनत करके मेहनत की कीमत।
क्या अब तक पाए, जो बैठे हुए हो?
शासक नहीं है ये, शोषक का जुमला
सुना करके सबको भरमाऐ हुए हैं।
तभी तो कह रहा हूँ सम्भल जाओ,
अब न करो देर उठो और उठाओ।
सभी सुधीजनो और बहुजनों क़ो ।
- डॉ.लाल रत्नाकर
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