रविवार, 1 दिसंबर 2019

खूंखार नीति लिखते हैं।


चलो एक गीत लिखते हैं
देश की रीत लिखते हैं
सत्ता में बैठे हुए लोगों की
खूंखार नीति लिखते हैं।
चलो एक गीत लिखते हैं।
सत्ता और उनकी प्रीत लिखते हैं।
चलो एक गीत लिखते हैं
बेईमानी और ईमानदारी के,
हर पल की उनकी निती लिखते हैं।
चलो एक गीत लिखते हैं।
जनता के खिलाफ उनकी
नीती और नियत लिखते हैं।
चलो एक गीत लिखते हैं।
अभी लिखित रूप लिखते हैं।
चोरी और सीनाजोरी का खेल,
और लूटपाट का मेल लिखते हैं।
गोलबंदी और बेईमानों का,
मेल जोल लिखते हैं।
राजनीति का मोल भाव लिखते हैं
जनता से उसका भेदभाव लिखते हैं।

डॉ.लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: