जिस मां ने हमें पाला पोसा
जिस मां ने हमें संस्कार दिए
वह विस्मृत कैसे हो सकती
जिसने अनोखा संसार दिया
हे मा हे मां।
जिस मां ने हमें संस्कार दिए
वह विस्मृत कैसे हो सकती
जिसने अनोखा संसार दिया
हे मा हे मां।
तुम उनको भी सद्ज्ञान दो
समझ उन्हें अनजान ही दो
वह मूर्ख हैं वह समझ रहे हैं
सब यही रहेगा !
ज्ञान और अज्ञान।
जीवन को सम्मान तो दो।
अपनों का अपमान हरो।
हे मा हे मां।
समझ उन्हें अनजान ही दो
वह मूर्ख हैं वह समझ रहे हैं
सब यही रहेगा !
ज्ञान और अज्ञान।
जीवन को सम्मान तो दो।
अपनों का अपमान हरो।
हे मा हे मां।
प्रकृति में तुम तो खोई हो
यहीं कहीं पर सोई हो
हम ढूंढ रहे हैं तुमको
सद्ग्यान औषधि की थाती हो
जीवन को आनंद दात्री हो
हे मा हे मां।
यहीं कहीं पर सोई हो
हम ढूंढ रहे हैं तुमको
सद्ग्यान औषधि की थाती हो
जीवन को आनंद दात्री हो
हे मा हे मां।
सबको तू खुशहाल करो
जीवन में किसी को न बेहाल करो
जो अज्ञानी है अभिमानी है
उनका भी उद्धार करो।
प्रकृति निधि का मान करो
सब कुछ तू यहीं पर छोड़ गई।
अपनों का सम्मान करो।
सबका मिथ्याभिमान हरो।
हे मा हे मां।
जीवन में किसी को न बेहाल करो
जो अज्ञानी है अभिमानी है
उनका भी उद्धार करो।
प्रकृति निधि का मान करो
सब कुछ तू यहीं पर छोड़ गई।
अपनों का सम्मान करो।
सबका मिथ्याभिमान हरो।
हे मा हे मां।
डॉ लाल रत्नाकर
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