मुसलमान नहीं
हिंदू भी नहीं ।
इंसान है कहीं क्या कोई।
राजनीति में।
धर्म नीति में।
न्याय की बात क्यों करते हो।
यह चीजें आज तो अन्याय पर।
ठहरी हुई है या टिकी हुई हैं।
कौन कहता है न्याय हुआ है।
कौन मानता है अन्याय हुआ है।
कोई कहता है यह फैसला है।
मगर यह फैसला फैसले की तरह नहीं है।
भावनाओं पर आधारित है।
यह भावनाएं जन भावनाएं नहीं है।
बल्कि विशेष धर्म के कुछ लोगों की भावनाएं हैं।
हम कैसा मंदिर बना रहे हैं।
संविधान हमारे धर्म की किताब है।
इस किताब में धर्म के बारे में विस्तार से लिखा है।
किस धर्म को किस धर्म से पराजित किया जाएगा।
यह वह किताब बहुत अच्छी तरह जानती है।
क्या सत्ता में बैठे हुए लोग उस किताब में लिखा हुआ।
पढ़ना नहीं जानते हैं या पढ़ना नहीं चाहते हैं।
फिर कैसा फैसला आया है।
यह फैसला लोगों को पहले से पता था।
और वही फैसला कैसे आ गया।
क्या सचमुच न्याय करने वाले लोग।
इसी जनता की तरह है।
जो डरी हुई है।
सच कहने से।
अगर ऐसा नहीं है तो।
आप बोलते क्यों नहीं हो।
क्या हिंदू क्या मुसलमान।
कहां गया भारत का इंसान।
डा.लाल रत्नाकर
हिंदू भी नहीं ।
इंसान है कहीं क्या कोई।
राजनीति में।
धर्म नीति में।
न्याय की बात क्यों करते हो।
यह चीजें आज तो अन्याय पर।
ठहरी हुई है या टिकी हुई हैं।
कौन कहता है न्याय हुआ है।
कौन मानता है अन्याय हुआ है।
कोई कहता है यह फैसला है।
मगर यह फैसला फैसले की तरह नहीं है।
भावनाओं पर आधारित है।
यह भावनाएं जन भावनाएं नहीं है।
बल्कि विशेष धर्म के कुछ लोगों की भावनाएं हैं।
हम कैसा मंदिर बना रहे हैं।
संविधान हमारे धर्म की किताब है।
इस किताब में धर्म के बारे में विस्तार से लिखा है।
किस धर्म को किस धर्म से पराजित किया जाएगा।
यह वह किताब बहुत अच्छी तरह जानती है।
क्या सत्ता में बैठे हुए लोग उस किताब में लिखा हुआ।
पढ़ना नहीं जानते हैं या पढ़ना नहीं चाहते हैं।
फिर कैसा फैसला आया है।
यह फैसला लोगों को पहले से पता था।
और वही फैसला कैसे आ गया।
क्या सचमुच न्याय करने वाले लोग।
इसी जनता की तरह है।
जो डरी हुई है।
सच कहने से।
अगर ऐसा नहीं है तो।
आप बोलते क्यों नहीं हो।
क्या हिंदू क्या मुसलमान।
कहां गया भारत का इंसान।
डा.लाल रत्नाकर
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