झन्झावातों के बीच !
राजनीति करने वाले लोगों।
हमारे सवाल के जवाब की जरूरत नहीं है।
मैं जानता हूं राजनीति में कुछ भी संभव है।
लेकिन जिन लोगों ने राजनीति को।
राजनीति की तरह नहीं ?
बल्कि व्यापार की तरह।
अमल किया है कर्मों और किसलिए।
किसी तरह से जिसने भी राजनीत में।
धूर्तता से जगह बनाई है अपने लिए।
उन्हें यह नहीं पता देश का क्या होगा।
या जानबूझकर वह ऐसा कर रहे हैं।
जिसे राजनीति ना कह कर।
झन्झावातों के बीच !
राजनीति में फंसे हुए लोग।
नहीं जानते हैं आने वाले दिनों का भविष्य।
उनको नहीं पता है झंझावातों की नीत।
कल जब कुछ भी बदलेगा या ?
बिल्कुल बदलने लायक नहीं होगा।
तब आप कैसे करोगे राजनीति।
इन झन्झावातों के बीच !
हमारे सवाल के जवाब की जरूरत नहीं है।
मैं जानता हूं राजनीति में कुछ भी संभव है।
लेकिन जिन लोगों ने राजनीति को।
राजनीति की तरह नहीं ?
बल्कि व्यापार की तरह।
अमल किया है कर्मों और किसलिए।
किसी तरह से जिसने भी राजनीत में।
धूर्तता से जगह बनाई है अपने लिए।
उन्हें यह नहीं पता देश का क्या होगा।
या जानबूझकर वह ऐसा कर रहे हैं।
जिसे राजनीति ना कह कर।
झन्झावातों के बीच !
राजनीति में फंसे हुए लोग।
नहीं जानते हैं आने वाले दिनों का भविष्य।
उनको नहीं पता है झंझावातों की नीत।
कल जब कुछ भी बदलेगा या ?
बिल्कुल बदलने लायक नहीं होगा।
तब आप कैसे करोगे राजनीति।
इन झन्झावातों के बीच !
डॉ.लाल रत्नाकर
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