यह वही लोग हैं
जिन्होंने ताजमहल गढा
राज महल बनाया।
संसद और विधान भवन बनाए।
लेकिन इनके लिए
उस संसद में बैठने वाले
विधान भवन में जाने वाले
उस संविधान को तहस-नहस कर डाले
जिसमें इनके खुशहाली के
सपने और उसके साकार होने के।
विधान लिखे हुए हैं।
इनकी खुशहाली के।
इनकी बदहाली के।
विधान लिखे हुए हैं।
इन्होंने नहीं पहचाना।
जो उन विधनों को।
इनकी खुशहाली के लिए।
लागू कर पाते।
इन्होंने उनकी मदद की।
जो उन विधानों को नहीं मानता !
यह जुमले और अच्छेदिन के
मारे हुए हैं।
क्योंकि इनका भाई !
इनका साथी !
इनका हितैषी !
उनका दुशमन है।
जिसे ये मुस्लमान मानते हैं !
और इन्हे लगता है वह ?
इनके नहीं मुसलामानों के खिलाफ है !
इसीलिए कोरोना का भय !
और इनका पलायन !
अब इनसे कौन बताये !
शहरों में तुम्हारी जगह नहीं है ?
जिन्होंने ताजमहल गढा
राज महल बनाया।
संसद और विधान भवन बनाए।
लेकिन इनके लिए
उस संसद में बैठने वाले
विधान भवन में जाने वाले
उस संविधान को तहस-नहस कर डाले
जिसमें इनके खुशहाली के
सपने और उसके साकार होने के।
विधान लिखे हुए हैं।
इनकी खुशहाली के।
इनकी बदहाली के।
विधान लिखे हुए हैं।
इन्होंने नहीं पहचाना।
जो उन विधनों को।
इनकी खुशहाली के लिए।
लागू कर पाते।
इन्होंने उनकी मदद की।
जो उन विधानों को नहीं मानता !
यह जुमले और अच्छेदिन के
मारे हुए हैं।
क्योंकि इनका भाई !
इनका साथी !
इनका हितैषी !
उनका दुशमन है।
जिसे ये मुस्लमान मानते हैं !
और इन्हे लगता है वह ?
इनके नहीं मुसलामानों के खिलाफ है !
इसीलिए कोरोना का भय !
और इनका पलायन !
अब इनसे कौन बताये !
शहरों में तुम्हारी जगह नहीं है ?
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