सोमवार, 1 जून 2020

मुहँ छुपाने का वक़्त जो है !



जश्न मनाने का वक़्त है क्या ? 
मुहँ छुपाने का वक़्त जो है ! 
लाखों लाख लोग संक्रमित हैं ! 
कोरोना महामारी से ! 
देश में फैली भुखमरी बेरोज़गारी से ! 
गरीब सडकों पे है लाचारी से ! 
कौन है जो मुँह सीए हुए है ! 
क्यों सच कहने में डरे हुए हैं ! 
देश कहीं चलता है झूठ और मक्कारी से !  
सही सही क्यों नहीं कहते ! 
कि देश नहीं चलता व्यापारी से ! 
हमारे देश के इतिहास का कलंक होगा ! 
कैसे कैसे लोग सत्ता पे विराजमान है ! 
और सही को जीना है लाचारी में ! 
कवियों, कपियों और खबरियों कहाँ हो ! 
चैनलों पे जो बैठे हैं सच को चुराए ! 
आग लगी हुयी है और मुल्क जल रहा है।  
खबर आ रही है जश्न चल रहा है।  
सियासत के खेल में देश जल रहा है।  
महीनों से बंद हैं सब तालों में ! 
ऐसा लगता है बाहर नहीं गए हैं सालों से। 
सवाल घेरे हुए हैं उत्तर नहीं है कोई ! 
जब धर्म भी रोग हो गया ! 
और वह धार्मिक बना रहा है।  
क्या तुम्हारा धर्म हमारे धर्म से सुरक्षित है ! 
तुम्हारा भेदभाव तो जगजाहिर है ! 
क्योंकि वह जाहिल बनाने में माहिर है ! 
मुहँ छुपाने का वक़्त जो है ! 
जश्न मनाने का वक़्त है क्या ? 

- डॉ लाल रत्नाकर  
  



 



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