शनिवार, 6 जून 2020

संविधान के रखवालों से ?


विचार करने की जरूरत है
पर्यावरण शुद्ध कैसे होगा
क्या व्यक्तियों के आचरण से
या सरकारी दिखाएं इंतजामों से
प्रकृति के अवदान या उपादान से
कैसे बचेगा वैश्विक पर्यावरण?
यही सवाल बार-बार मन पूछ रहा है।
वैज्ञानिकों से, राजनीतिज्ञो से और
संविधान के रखवालों से ?
पत्रकारों भांटगिरी से फुर्सत हो गई हो तो !
जा करके देखना दुनिया के हालात।
और फिर उस पर लिखना किसी भी भाषा में
बोलना किसी भी चैनल पर "जीवन की बात"
मत खुश हो जाना 'मन की बात' पर!
ऐसे व्यक्ति की मन की बात जो मन नहीं रखता !
न अवाम का और ना उस स्त्री का?
जिसने उस पर विश्वास किया जीवन भर के लिए।
वह भटकती रही वह भटकाता रहा।
घूम घूम कर दुनिया को भरमाता रहा।
आफत आई तो भाग खड़ा हुआ?
यही वक्त था जब प्राणपण से पर्यावरण पर
डटे रहना था जुमलों से, मुलम्मे वाले लंबे लंबे
मनमोहक भाषणों के साथ।

-डॉ लाल रत्नाकर

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