(जौनपुर की वह घटना जहॉ नफ़रत और हबस की दुर्दांत वारदात जीवन के अर्थ बदल देती हो वहॉ राजनीति का एक रूप जिसपर पंक्तियाँ ।)
यह भीड़ यह हुजुम
नफ़रत से हारे हुये
दरवाज़े पर।
सियासत का
मजमूंन
बताता है?
रामराज्य की परिकल्पना
ही झूठी है।
तुलसी की कथा
और !
ग़रीब की आस !
उम्मीदों की मिठास!
बस !
सब्र !
का एहसास !
अभी बाक़ी है !
सदियों !
सदियों !
से चली आ रही
झूठी
लचर
आस्था
धर्म
न्याय
और
संसद की
सामाजिक संरचना
कितनी जटिल है।
- रत्नाकर
यह भीड़ यह हुजुम
नफ़रत से हारे हुये
दरवाज़े पर।
सियासत का
मजमूंन
बताता है?
रामराज्य की परिकल्पना
ही झूठी है।
तुलसी की कथा
और !
ग़रीब की आस !
उम्मीदों की मिठास!
बस !
सब्र !
का एहसास !
अभी बाक़ी है !
सदियों !
सदियों !
से चली आ रही
झूठी
लचर
आस्था
धर्म
न्याय
और
संसद की
सामाजिक संरचना
कितनी जटिल है।
- रत्नाकर
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