सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

तुम चमचे हो







तुम चमचे हो
चाटुकार हो, हो ना।
फिर जागो या सो जाओ।
फर्क कहां है,
समझ कहां है भक्तिभाव में।
सम्मान तुम्हारा ज्ञान तुम्हारा।
माप लिया है
नाप लिया है भक्तों ने।
तुम भौंको उनके टुकड़ों पर।
तुम चाटो या तुम काटो,
बिना जहर के दातों से,
अभिशाप यही है श्राप यही है
भागो कैसे भागोगे,
कब जागोगे ?
जब मान लिया है भाग्य और भगवान
कहां भागोगे, जड़ में,चेतन में
या अवचेतन में।
कहां दिया हैं ज्ञान, दिया अज्ञान !
तुम चमचे हो!
चाहो तो अब जागो।
जागो भक्तों जागो !
नेता नगरी सुनी है।
गुनिया करें गुमान।
कहां छुपा भगवान ?
चमचों जागो।
बन जाओ इंसान।
यही कहता है विज्ञान।
चमचों जागो।

डॉ लाल रत्नाकार 

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