रविवार, 4 अक्टूबर 2020

दरिंदों


 दरिंदों

दरिंदों
बेटी तो तेरे बाप की भी होगी!
उसे कभी देखा?
उसी नजर से!
जिसको.
कुत्ते की तरह.
नोचा तुम सब ने.
बेटी
तो तेरी माँ की भी होगी,
कभी सोचा तुमने,
वही जिसने तुम्हें जना!
कभी सोचा!
कुत्ते उसे नोचते!
तो तू पैदा ही न होता.
और अच्छा ही होता!
कभी सोचा तुमने
तेरे माँ बाप
जरुर तेरे जन्म को
मानते होंगे!
पर तू कलंक है!
धरती पर.
जिस दिन
तेरी बेटी होगी
और उसे पता चलेगी
तेरी करतूत
तेरे जैसे कुत्ते की
आदत
क्या वह सह पायेगी
घूरती हुई आंखो का ताप
जो जानते हैं
तुम्हें
कि तुम कुत्ते हो.
और वह तुम्हारी
बेटी है.

डॉ लाल रत्नाकर
(मनीषा वाल्मीकि की स्मृति में)

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