शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

मारने की कला में माहिर है


वह मरने की नहीं 
मारने की कला में माहिर है  
याद होगा गांधी को मारा था 
उसे फांसी भी हुई थी 
क्या आज उसे वह सज़ा होती 
गौर करिये पुलवामा को 
उन शहीदों को कौन मारा
दुश्मन देश ने !
खोजबीन नहीं हुई 
हमलों के नाटक के बाद 
मामला ठन्डे बास्ते में चला गया 
हज़ारो को लिन्चिंग में 
लाखों करोड़ों को आपदा में 
कौन मारा !
क्या कभी विचार किया ?
नहीं तो बैठे रहिये 
और विश्वास करिये !  
ईश्वर के समक्ष पाखंड से 
नियंत्रित रहिये ?
अस्पताल दवाइयां कहाँ हैं 
घंटा घंटी और थाली पिटीए !
हाथ मलिये और हथेली मालिये !
शायद कुछ गर्माहट आ जाए। 

डा लाल रत्नाकर  

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