याद होगा गांधी को मारा था
उसे फांसी भी हुई थी
क्या आज उसे वह सज़ा होती
गौर करिये पुलवामा को
उन शहीदों को कौन मारा
दुश्मन देश ने !
खोजबीन नहीं हुई
हमलों के नाटक के बाद
मामला ठन्डे बास्ते में चला गया
हज़ारो को लिन्चिंग में
लाखों करोड़ों को आपदा में
कौन मारा !
क्या कभी विचार किया ?
नहीं तो बैठे रहिये
और विश्वास करिये !
ईश्वर के समक्ष पाखंड से
नियंत्रित रहिये ?
अस्पताल दवाइयां कहाँ हैं
घंटा घंटी और थाली पिटीए !
हाथ मलिये और हथेली मालिये !
शायद कुछ गर्माहट आ जाए।
डा लाल रत्नाकर
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