रविवार, 12 दिसंबर 2021

वह हार जाने के बाद

वह हार जाने के बाद
जीता हुआ महसूस करता है
क्योंकि उसकी साजिश
कामयाब नहीं होती।
उसकी हार 
जब जीत में बदल जाती है
क्योंकि भक्त अंधभक्त होता है।
गोबर भक्तों की पंगत में।
गोबर से उर्वरक बनाने वाला
किसान जब लड़ रहा होता है
श्मशान और मंदिर बनाने वाले से
दोनों सत्य हैं सबके लिए।
वह डराने लगता है हथियार 
बनाकर असत्य और पाखंड को।
अहंकारी तांडव से।
पूंजीवाद के छल कपट से।
हेरा फेरी का धंधा करने वाला
संविधान के साथ जब धड़ल्ले से
वह हेराफेरी कर रहा हो।
और डरा रहा हो काले कानून से।
समझ में तो आता है
लेकिन काले कारनामे वाले 
डर तो जाते हैं नेतृत्व दिखाने से
किसानों ने दिखा दिया।
समझा दिया तेरी टोपी काली है
हमारी हरी टोपी लाल टोपी
पीली और नीली टोपी
तुम पर भारी है बहुत भारी है।
गद्दी छोड़ो नैतिकता कह रही है
हमने वोट दिया था अच्छे दिन
खुशहाली लाने के झूमले पर।
तुम्हारा असत्य खुल गया है।
अब ज्यादा मत बोलो
हमारे संविधान और सत्य को
अपनी नफरत और अहंकार से
मत तोलो मत तोलो।

डॉ लाल रत्नाकर



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