बुधवार, 15 दिसंबर 2021

मुफ्त के राशन ! वोट के लिए।

 मुफ्त के राशन - वोट के लिए।

जो मनुस्मृति में लिखा है,
वही सरकार की मंशा है।
तुम्हें नंगा बनाने में।
भिखारी बना देने में।
खुशी तो तुम्हारी है।
कहां गया तुम्हारा पुरुषार्थ
जो देश बनाने में?
देखा था बाबा साहब ने
बुद्ध के प्रदेशों में !
ज्योतिबा के विचारों में
पेरियार की प्रतिज्ञा में
ललई सिंह के आचारों में
वर्मा जी के कर्मों में।
सावित्री की प्रेरणा से
शिक्षित हुए समाज की
महिलाएं !
कैसे अंधभक्त हो गई हैं
अनुप्रिया भी अपने विचारों से
भटक गई हैं।
सत्ता-धन के लोभ मोह में
मायावती जी फंस गई है।
लालू जी को बेहाल कर दिया
सत्ता ने कमाल कर दिया !
किसको किसको,
मालामाल कर दिया।
मुलायम के 'बिचारों' ने
घर में ही महाभारत कर।
सत्ता के अधिकारों ने।
अलग अलग कर दिया है।
जी हां !
मुफ्त का राशन !
यह बताता है!
अवाम दरिद्र हो गई है।
भूखी है क्या इसीलिए
भक्त हो गई है।
क्या गोबर के अन्न खाने वाले।
गोबर भक्त बन गए हैं।
अस्मिता अंबेडकर की बचाने वाले।
कहां खो गए हैं।
पाखंड फैलाने वाले,
ना जाने कैसे कैसे
सत्ता की बागडोर पा गए हैं।
- डॉ.लाल रत्नाकर

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