मनुवाद के हथियार से
हत्या और अत्याचार से
जो नहीं वाकिफ है।
दरअसल यही मनुवाद की
ताकत है।
पिछड़ों दलितों की
भगवाधारी भागेदारी।
सदियों के अत्याचार का
दुराचार का व्यापार है
जिसमें यह अज्ञानी,
बुरी तरह से तल्लीन है।
अब क्या बनने को बचा है।
जब भारत तन के खड़ा है।
समता समानता और बंधुत्व
के विनाश के खिलाफ।
वह हर व्यक्ति धर्म की आड़ में
कैसे मकड़जाल में फंसा है।
कौन सा ऐसा धर्म है,
जो धर्म को ही जलील करता हो।
आस पास झांकिये।
आपके सामने जो खड़ा है।
आपको लगता है वह इंसान है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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