अद्भुत !
प्रतीकों का इस्तेमाल करना ?
जुमले और झूठ का प्रचार करना?
वास्तव में यही कला है।
और इस कला के माहिर।
बहुजनों का सत्यानाश कर रहे हैं।
आपके उत्तम विचार हैं।
निश्चित रूप से हम यह समझ सकते हैं।
लेकिन बहुजन के बहुसंख्यक अवाम को।
भीख का अन्न। अंध धर्म।
और अज्ञानता का मर्म समझ में नहीं आता।
प्रभु के रूप में बंदर का इस्तेमाल।
सूअर को भगवान बना कर।
गाय का इस्तेमाल।
यह सब अद्भुत कमाल है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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