शनिवार, 14 मई 2022

धरा को धीरज की जरूरत है।



धरा को धीरज की 
जरूरत है।
शक्ति को आशक्ति की
शक्तिशाली की भक्ति की
साहश को धैर्य की,
धैर्य को धरातल की,
कितनी आशक्ति है।
एहसास को गम्भीर्य की,
धरती को वीर की।
धूर्त को लकीर की।
कितनी जरूरत है।
सिस्टम को बदलने की।
न्याय की जरूरत है।
प्रकृति को सपूत की
सत्य के प्रतिनिधि की।
कितनी जरुरत है।

- डॉ लाल रत्नाकर
 

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