पहचानो !
कैसे पहचानोगे
हमारे रूप को
हमारी मनसा को
पहचानो
कैसे पहचानोगे
और कितनी देर
लगाओगे पहचानने में।
बहुरूपिया कहीं का
बहुरूपिया कहीं से
लगता नहीं हूं।
पहचान गए तो
अब क्या कर लोगे
जितना धोखा देना था
वह तो दे चुका हूं।
आगे भी पहचान !
नहीं पाओगे ?
हमारे पास रूप बहुत है।
पहचानो।
-- डॉ. लाल रत्नाकर
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