आरब्द्ध नग्नता से आरंभ !
उसका प्रारब्ध कैसा होगा।
विचार करने का वक्त कहां है।
जिसका सर्वनाश हुआ हो।
ज्ञान की थोथी-थोथी बातें!
उसमें समाहित हो।
जो आप का नेतृत्व कर रहा है।
चालाकी और कुटिलता से,
नीति और नियति की दरिद्रता से
परिपूर्ण हो।
और नैतिकता का उपदेश देता हो!
भविष्य संवारने का संदेश देता हो।
वर्तमान में लूट रहा हो।
छद्म वेश में घूम रहा हो।
नफरत,जहर परोस रहा हो।
संतो के बीच में घूम रहा हो।
इतिहास की दुहाई देता हो।
गद्दारों को चूम रहा हो।
देशभक्त बहादुरों को नश्त नाबूत कर रहा हो।
आरब्द्ध नग्नता से आरंभ !
अपने शौक पूरे करते घूम रहा हो।
विचार करने का वक्त कहां है।
बचाव करने में ही परेशान है।
उसका प्रारब्ध कैसा होगा।
विचार करने का वक्त कहां है।
जिसका सर्वनाश हुआ हो।
ज्ञान की थोथी-थोथी बातें!
उसमें समाहित हो।
जो आप का नेतृत्व कर रहा है।
चालाकी और कुटिलता से,
नीति और नियति की दरिद्रता से
परिपूर्ण हो।
और नैतिकता का उपदेश देता हो!
भविष्य संवारने का संदेश देता हो।
वर्तमान में लूट रहा हो।
छद्म वेश में घूम रहा हो।
नफरत,जहर परोस रहा हो।
संतो के बीच में घूम रहा हो।
इतिहास की दुहाई देता हो।
गद्दारों को चूम रहा हो।
देशभक्त बहादुरों को नश्त नाबूत कर रहा हो।
आरब्द्ध नग्नता से आरंभ !
अपने शौक पूरे करते घूम रहा हो।
विचार करने का वक्त कहां है।
बचाव करने में ही परेशान है।
-डॉ. लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें