ज्ञान
और
अखण्ड पाखंड।
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आज के दौर में
पसंद की परिभाषा क्या है
दुविधा में खड़ा हुआ
बुजुर्ग से आशा क्या है
एक ओर हा हा कार है
दूसरी ओर शांति पसरी है
जमाने को इंतजार है
यह कैसा संसार है।
लोकतंत्र दुनिया में शर्मसार है
क्या हमारा देश किसी तरह से,
इस सत्य को स्वीकार ने में,
क्यों लाचार है।
ज्ञान और अज्ञान का
यही भेद सदियों से
पाखंड का आधार है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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