मुल्क को गुलाम !
करने वालों का पता, पता है ?
पहचान की कोई निशानी है?
स्वदेशी और विदेशी का।
फर्क करने वाले मिले तो होंगे।
आपसे भी और मुल्क से भी।
मुल्क की सेहत का उनकी सेहत से।
कोई ताल्लुक है क्या?
मरने वालों की संख्या पता तो होगी।
पिछले दिनों की भी और आजकल की भी!
गुलाम ! करने वालों का पता !
पता तो होगा आपको।
चलिए एक बार मिलते हैं।
उनसे यह जानने के लिए।
किस्से कहानियों में आपको पढ़ते थे।
आप तो इस मुल्क में अभी जिंदा हो।
इतिहास आपका पढ़ने को!
शायद मौका ना मिले।
इसलिए सोचते हैं कि आप से मिल लें।
वैसे जो किस्से कहानियां गढते हैं।
वह आपसे जरूर मिले होंगे।
नहीं तो कहानियों का स्रोत कहां से मिलता।
विज्ञान के युग में।
धर्म का भार उनका आधार कैसे बनता।
-डॉ लाल रत्नाकर
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