मंगलवार, 15 नवंबर 2022

तुम्हारा सिर कलम करके

 
तुम्हारा सिर कलम करके
तुम्हारी गोद में वह दे देगा,
बनाकर भक्त वह तुमको
सोच को भी कुंद कर देगा
हर निवाले पर नजर होगी
एहसास में ऐसा रंग भर देगा,
आंखें खोल कर रखो,
आत्मबल का एहसास रखो,
दुखों से तुमको डराएगा वह,
निहथ्था करके तुमको
तुम्हारे लोगों से ही मरवाएगा।
भक्ति में भले मानस
यह कैसा विस्तार होगा।
तुम्हारी लाचारी का।
भावनात्मक आधार ही होगा।
अगर बच्चों की मांनिन्द,
भटकता मन तुम्हारा होगा
समझ लो अज्ञात में
सहारे का आधार क्या होगा?

-डॉ लाल रत्नाकर 

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