तुम्हारा सिर कलम करके
तुम्हारी गोद में वह दे देगा,
बनाकर भक्त वह तुमको
सोच को भी कुंद कर देगा
हर निवाले पर नजर होगी
एहसास में ऐसा रंग भर देगा,
आंखें खोल कर रखो,
आत्मबल का एहसास रखो,
दुखों से तुमको डराएगा वह,
निहथ्था करके तुमको
तुम्हारे लोगों से ही मरवाएगा।
भक्ति में भले मानस
यह कैसा विस्तार होगा।
तुम्हारी लाचारी का।
भावनात्मक आधार ही होगा।
अगर बच्चों की मांनिन्द,
भटकता मन तुम्हारा होगा
समझ लो अज्ञात में
सहारे का आधार क्या होगा?
तुम्हारी गोद में वह दे देगा,
बनाकर भक्त वह तुमको
सोच को भी कुंद कर देगा
हर निवाले पर नजर होगी
एहसास में ऐसा रंग भर देगा,
आंखें खोल कर रखो,
आत्मबल का एहसास रखो,
दुखों से तुमको डराएगा वह,
निहथ्था करके तुमको
तुम्हारे लोगों से ही मरवाएगा।
भक्ति में भले मानस
यह कैसा विस्तार होगा।
तुम्हारी लाचारी का।
भावनात्मक आधार ही होगा।
अगर बच्चों की मांनिन्द,
भटकता मन तुम्हारा होगा
समझ लो अज्ञात में
सहारे का आधार क्या होगा?
-डॉ लाल रत्नाकर
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