देश के लिए क्या किया !
अपनों को देश दे दिया।
गरीबों का पेट दे दिया।
युवा को नफरत दी।
नफरती समाज गढ़ दिया।
रेल, सड़क,रोटी के बदले।
धार्मिक उन्माद भर दिया।
सेना, सुरक्षा, का
साजो सामान बेचकर।
सेहत और शिक्षा को तंत्र मंत्र
अज्ञान के गुमान से
गर्त में धकेलकर
भारत सरकार बेचकर
आत्ममुग्ध हो गये।
सत्य का संहार कर
भगवा विचार भर दिया।
बाबासाहब के देश में
गुण्डे के वेश में।
मंत्री बनाकर
कितना अपमान किया है।
संविधान आत्मा है ना
कोई परमात्मा है।
सब कुछ बर्बादकर
जुमलों का तड़का दे।
काला बिहान कर दिया।
-डॉ लाल रत्नाकर
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