जिनका मकसद है नफरत फैलाना !
और नफरतों से राज करना।
उनके फैसले देखो उनके हक में।
अपराधियों को छोड़ देना।
और यह बताकर कि वह ब्राह्मण हैं।
इसलिए अपराधी नहीं हो सकते।
फिर जिस न्यायालय ने उन्हें,
आजीवन कारावास दिया था।
उसकी विवेचना को देश की
सर्वोच्च न्यायालय मान्यता दी थी।
वह बाकायदा सजा काट रहे थे।
लालकिले की प्राचीर से प्रधान सेवक।
महिलाओं की स्मिता के गीत गा रहे थे।
उधर गुजरात में बिलकिस बानों के !
सजायाफ्ता कैदियों को जेल से
रिहाकर मुक्त किया जा रहा था।
उनकी वंदना गुजरात की
कौन महिलाएं कर रही थी तिलक और
जयमाल पहनाकर, यही गुजरात मॉडल है।
एक फैसला इससे आगे भी आया है।
कि दंगों के सारे मुकदमे बंद किए जाते हैं।
क्योंकि उन्हें लंबे समय से
निपटाया नहीं जा सका है।
यह नया भारत है जहां कानून का राज
लगता है मनुस्मृति में समाया है।
जिनका मकसद है नफरत फैलाना !
और नफरतों से राज करना।
उनके फैसले देखो उनके हक में।
सर्वोच्च न्यायालय से आया है।
और नफरतों से राज करना।
उनके फैसले देखो उनके हक में।
अपराधियों को छोड़ देना।
और यह बताकर कि वह ब्राह्मण हैं।
इसलिए अपराधी नहीं हो सकते।
फिर जिस न्यायालय ने उन्हें,
आजीवन कारावास दिया था।
उसकी विवेचना को देश की
सर्वोच्च न्यायालय मान्यता दी थी।
वह बाकायदा सजा काट रहे थे।
लालकिले की प्राचीर से प्रधान सेवक।
महिलाओं की स्मिता के गीत गा रहे थे।
उधर गुजरात में बिलकिस बानों के !
सजायाफ्ता कैदियों को जेल से
रिहाकर मुक्त किया जा रहा था।
उनकी वंदना गुजरात की
कौन महिलाएं कर रही थी तिलक और
जयमाल पहनाकर, यही गुजरात मॉडल है।
एक फैसला इससे आगे भी आया है।
कि दंगों के सारे मुकदमे बंद किए जाते हैं।
क्योंकि उन्हें लंबे समय से
निपटाया नहीं जा सका है।
यह नया भारत है जहां कानून का राज
लगता है मनुस्मृति में समाया है।
जिनका मकसद है नफरत फैलाना !
और नफरतों से राज करना।
उनके फैसले देखो उनके हक में।
सर्वोच्च न्यायालय से आया है।
- डॉ. लाल रत्नाकर
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