ना ही किसी होर्डिंग बोर्डिंग में
ना ही किसी गोष्ठी में
ना ही किसी क्लब में
और ना ही कोर्ट कचहरी में
ना ही किसी ऑफिस में
इस बात की चर्चा होती है कि
एक ही जाति के लोग
सभी महत्वपूर्ण पदों पर
क्यों विराजमान हैं ?
पहले किसानों ने
फिर महिला पहलवानों ने
धरना दिया हुआ है
अराजकता के खिलाफ
काले कानून के खिलाफ
उनको कहा जा रहा है
एक ही जाति के क्यों हैं ?
यह अजीबो गरीब कहानी है
यह कहानी क्यों नहीं आती है
किसी के जुबान पर।
की क्यों नहीं आते आगे ?
जातिवाद के खिलाफ।
- डॉ लाल रत्नाकर
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