इन आंदोलनकारियों ने
आंदोलन पर उतरना ही
जरुरी क्यों समझा !
विचार तो कीजिये आप ?
सत्ता में बैठा खूंखार बलात्कारी
बलात्कारी को क्यों बचा रहा है !
सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश
दिया की पकड़ो उसको !
पर बलात्कारी खुल्ला घूम रहा है।
जरा विचार करिए कि इन
आंदोलनकारियों पर !
क्या-क्या नहीं गुजरा होगा
उनके जमीर के साथ।
क्या उसने पशुवत व्यवहार
नहीं किया होगा।
यह नया भारत है जहां
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का
स्लोगन दीवारों पर, वाहनों पर
मुफ्त में दिए जा रहे अनाज के थैलों पर।
प्रधान सेवक की तस्वीर के साथ
सभी पेट्रोल पंप के बैनरों पर।
किससे बेटी बचाने की बात हो रही है।
क्या जनता अभी भी नहीं समझ रही है।
आंदोलनकारी पहलवानों को।
क्यों यह बात अब समझ आ रही है।
मुंह में राम बगल में छूरी।
कोई आज से कबीर थोड़े गा रहा है।
वह तो सदियों से चिल्ला रहा है!
- डॉ लाल रत्नाकर
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