पता नहीं इनकी मंजिल क्या है
यह जहां जा रहे हैं वहां है
इनका विश्वास
कि मेरी मंजिल मिलेगी
जरूर जहां कोई है?
जो कर रहा होगा इंतजार!
इस विश्वास के साथ
कि यह वही है
जिनका हमें था विश्वास
कि वह नहीं करेंगे विश्वासघात।
क्योंकि यह ठगे गए हैं
पाखंड और अंधविश्वास से
बहुत गहरे तक।
संभवत: है इनकी मंजिल पर
चमत्कार का कोई आधार
यह उपक्रम नहीं होगा।
और वह इनका मूल्यांकन करेगा
इनके तय किए जटिल रास्तों से!
ऐसा है उन सबका विश्वास !
जो सत्य पर आधारित है।
यह जहां जा रहे हैं वहां है
इनका विश्वास
कि मेरी मंजिल मिलेगी
जरूर जहां कोई है?
जो कर रहा होगा इंतजार!
इस विश्वास के साथ
कि यह वही है
जिनका हमें था विश्वास
कि वह नहीं करेंगे विश्वासघात।
क्योंकि यह ठगे गए हैं
पाखंड और अंधविश्वास से
बहुत गहरे तक।
संभवत: है इनकी मंजिल पर
चमत्कार का कोई आधार
यह उपक्रम नहीं होगा।
और वह इनका मूल्यांकन करेगा
इनके तय किए जटिल रास्तों से!
ऐसा है उन सबका विश्वास !
जो सत्य पर आधारित है।
-डॉ लाल रत्नाकर
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