संज़ोने की कला का ना आना!
यह तो मेरे विचार है,
यह तो मेरे विचार है,
पर बात इससे आगे की है!
कहानी दिलचस्प है
कहानी दिलचस्प है
पर बताने में दिलचस्पी नहीं है।
सपने गढ़ने के लिए,
सपने गढ़ने के लिए,
तोड़ डाले सारे सपने!
मगर जिनको यह लगता है
मगर जिनको यह लगता है
कि वह सपने क्या थे ?
उनके लिए कोई जवाब नहीं है।
ना उनके लिए कोई हिसाब है,
उनके लिए कोई जवाब नहीं है।
ना उनके लिए कोई हिसाब है,
जिनको जिनको दिए हैं।
बेहिसाब अपने श्रम के
बेहिसाब अपने श्रम के
प्रदान और आदान।
नहीं मालूम ?
नहीं मालूम ?
कभी उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया?
डूब जाना और दूर जाना
अपनों के सपनों का!
डूब जाना और दूर जाना
अपनों के सपनों का!
-डॉ लाल रत्नाकर
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