पृष्ठ
मुखपृष्ठ
गाँव
पोस्टर
अन्य कवियों की रचनाएं
रत्नाकर के चित्र
प्रकाशन
विशेष
भूले विसरे गीत
आलेख
सोमवार, 24 जुलाई 2023
आंखों का जल सूख गया!
वह दिन जो अब गुजर गए,
मौसम बदल गया फिर भी !
अच्छे दिन की आस लगाए,
आंखों का जल सूख गया !
-डॉ लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें