जीवन को जार-जार कर रहे होते हैं
वह ठग समाज के
जो सफल हो गए हैं
ठगी के मायाजाल में !
उनको लगता है जीवन के मूल्य
श्रम में नहीं ठगी में मौजूद है।
वो नहीं जानते बसावन कौन है
उनको यह भी नहीं पता है
कि दुखी राम कौन है !
क्योंकि वह डी आर को जानते हैं
और जानते हैं अक़बर को
अकबर जानते थे बसावन कौन है
और हम जानते हैं दुखी राम कौन है!
वक़्त बहु तेज़ी से बदल रहा है
बदलते हुए वक़्त में
तड़ीपार शासक हो गया है
और चाय वाला !
प्रधान सेवक !
अगर यह सच है तो
यह बदलता हुआ वक़्त है !
जो अब तक बाबा साहब को
नहीं मानते थे
अब उन्हें उनकी याद आ रही है
वो ठग जो 50 से ज़्यादा वर्षों तक!
संविधान के नियमों को
अब उन्हें उनकी याद आ रही है
वो ठग जो 50 से ज़्यादा वर्षों तक!
संविधान के नियमों को
ताक पर रखकर राज कर रहे थे !
ठगो की जमात के साथ
मूलतः तो वह भिखारी थे ?
ठगो की जमात के साथ
मूलतः तो वह भिखारी थे ?
जो आज अपनी संपदा
बचाने के लिए शरणागत हो गए हैं !
बदलते हुए वक़्त के साथ !
बदलते हुए वक़्त के साथ !
वक़्त तेज़ी से बदलता है
बदलते हुए वक़्त में
हम भूल जाते हैं
वास्तविकता जीवन की !
बदलते हुए वक़्त में
हम भूल जाते हैं
वास्तविकता जीवन की !
-डॉ लाल रत्नाकर

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