मंगलवार, 16 दिसंबर 2025

उन्हें मेरी शक्ति का ? शायद एहसास नहीं है।


उन्हें मेरी शक्ति का ?
शायद एहसास नहीं है।
वर्तमान समय में धारा का !
जिस तरह से परिवर्तन हो रहा है ।
उसकी उम्मीद तो नहीं थी।
वादा तो विकास का था!
नकेल विनाश की !
कैसे पकड़ में आ गई ?
यह समझना भी बहुत मुश्किल है।
पर वह है कि मानता ही नहीं!
ऐसा लगता है जैसे जानता नहीं है !
कि विकास की वह धारा !
कितनी मुश्किल से 
यहाँ तक पहुँची थी ।
जन जन के विकास से 
उसको जैसे नफरत हो !
उसको लगता है 
सब कुछ समेट कर !
दोस्तों में ही लपेटकर
वह वहाँ जाना चाहता है !
जहाँ से वापस नहीं आया जाता ?
परन्तु यह देश तो यहीं रहेगा ।
और संस्थाएं फिर से ज़िंदा होगी।
अहंकार मर जाने के बाद ।
जिसको वह लेने में लगा है।
लुटेरों के सरगना की तरह !
लूट के लिए चिल्ला रहा है !
सबका साथ सबका 
विकास बता रहा है 


-डॉ.लाल रत्नाकर

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