जुल्म की एक हद होती है ?
यही जुल्मी हद पार करता रहता है ।
जुल्मी की भी एक हद होती है
उसके जुल्म हद पार करते हैं
उसके वही जुल्म जिसके लिए
हद पार कर जाते हैं।
और उसका जो होता है सब जानते हैं।
हजारों साल से जो जुर्म होता रहा है।
सीधा-साधा आदमी उसे अच्छी तरह समझ पा रहा है।
पर वह बोलता क्यों नहीं है।
क्योंकि उसे मर्यादा में बांध दिया गया है।
मर्यादा को किसने गढ़ा है।
उसकी परिभाषा क्या है।
उसे कौन तय करता है।
संविधान में तो सबको बराबर का हक है।
वह लागू क्यों नहीं हो रहा है।
मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था ने
आदमी को खंड-खंड में खड़ा कर दिया है।
संविधान बड़ा है या मनु का विधान (मनुस्मृति) बड़ा है।
संविधान मानने वाले या संविधान बचाने वाले
संविधान बड़ा है या मनु का विधान (मनुस्मृति) बड़ा है।
संविधान मानने वाले या संविधान बचाने वाले
सबसे ज्यादा मनुस्मृति मानते हैं।
तभी तो वर्ण व्यवस्था मानते हैं।
तभी तो वर्ण व्यवस्था मानते हैं।
वर्ण व्यवस्था में जातियों की भरमार है।
जातियों के समीकरण से चल रही सरकार है।
क्यों मानते हो जातियां।
आरक्षण के लिए या पुजारी बनने के लिए।
भेदभाव करने के लिए या किसी मंदिर के ट्रस्ट में रहने के लिए।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर जरूरी है या अस्पताल?
(2)
नदिया मैली हो गई है।
उनकी सफाई पर बहुत सारे अभियान चलाए गए हैं।
नदियों में शहरों का मल मूत्र लाया गया है।
उद्योगों का कचरा बहाया गया है।
प्राकृतिक तरीके से उसकी स्वच्छता को मिटाया गया है।
कुंभ,महाकुंभ या स्नान के लिए
सबसे पवित्र बताया गया है।
वर्ण व्यवस्था बचाने के लिए
या संविधान मिटाने के लिए।
विज्ञान के हिसाब से।
वह बहस भी करता है।
जो रोज अन्याय करता है।
रोज घूस लेता है और ईमान बेचता है।
उसका ईमान संविधान से बधा होता है।
मन मनुस्मृति में घुसा होता है
परोपकार के स्वान्ग रचता है।
परोपकार नहीं करता।
वर्ण व्यवस्था के हिसाब से आचरण करता है।
कभी बराबर में नहीं बैठता और न बराबर में बैठाता है।
जातियों के समीकरण से चल रही सरकार है।
क्यों मानते हो जातियां।
आरक्षण के लिए या पुजारी बनने के लिए।
भेदभाव करने के लिए या किसी मंदिर के ट्रस्ट में रहने के लिए।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर जरूरी है या अस्पताल?
(2)
नदिया मैली हो गई है।
उनकी सफाई पर बहुत सारे अभियान चलाए गए हैं।
नदियों में शहरों का मल मूत्र लाया गया है।
उद्योगों का कचरा बहाया गया है।
प्राकृतिक तरीके से उसकी स्वच्छता को मिटाया गया है।
कुंभ,महाकुंभ या स्नान के लिए
सबसे पवित्र बताया गया है।
वर्ण व्यवस्था बचाने के लिए
या संविधान मिटाने के लिए।
विज्ञान के हिसाब से।
वह बहस भी करता है।
जो रोज अन्याय करता है।
रोज घूस लेता है और ईमान बेचता है।
उसका ईमान संविधान से बधा होता है।
मन मनुस्मृति में घुसा होता है
परोपकार के स्वान्ग रचता है।
परोपकार नहीं करता।
वर्ण व्यवस्था के हिसाब से आचरण करता है।
कभी बराबर में नहीं बैठता और न बराबर में बैठाता है।
-डॉ लाल रत्नाकर